Indian government act 1858.

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1858 के अधिनियम के पारित होने के उत्तरदाई कारण तथा परिस्थिति / महारानी विक्टोरिया की घोषणा पत्र
भारतीय शासन के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत थी  नए शासन व्यवस्था की सफलता के लिए महारानी विक्टोरिया ने 1858 में ही घोषणा की जिसे भारत के प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद में आयोजित उस दरबार में पढ़कर सुनाया जिसमें भारत सरकार के लोग तथा देशी रियासतों के राजे महाराजे उपस्थित थे यह भारतीयों के प्रतिउदार और धार्मिक सहिष्णुता की भावना से युक्त था ब्रिटिश मंत्रिमंडल ने इसे महारानी के आदेश एवं निर्देश तथा उनकी भावना के अनुरूप तैयार किया गया था

अधिनियम पारित होने के लिए क्या कारण थे और उनकी परिस्थितियां What were the reasons for passing the Act and their circumstances
1857 के विद्रोह ने शासन परिवर्तन का तत्कालीन कारण बना और उस समय अनेक महत्वपूर्ण कारण थे जो इस अधिनियम की आवश्यकता पड़ी
(1) 1784  के पिट्स इंडिया एक्ट द्वारा स्थापित शासन पद्धति में अनेक त्रुटियां थी शासन कार्य मैं उत्तरदायित्व नियंत्रण मंडल तथा भारत के गवर्नर जनरल में बटा हुआ था अतः अधिकारियों के उद्देश्य और आदेशों में एकता नहीं था नियंत्रण मंडल तथा संचालक सभा में झगड़े होते रहते थे जो शासन प्रबंध की कुशलता के लिए लाभकारी नहीं था

(2) सन 1765 में  कंपनी को दीवानी के अधिकार प्राप्त कर लेने से कंपनी को जो जबरदस्त राजनीतिक शक्ति प्राप्त हुआ उसने इस भाव को जागृत कर दिया or कहा जाने लगा कि कंपनी राज्य के अंदर एक राज उत्पन्न कर रही है और यह कि अब भारत में ब्रिटिश प्रजा जन ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण करने का समय आ गया है

(3) जब ब्रिटिश सरकार और उसका वातावरण भारतीय प्रशासन में परिवर्तन के लिए अनुकूल हो चुका था तभी 1857 के  विद्रोह ने शासन परिवर्तन का मार्ग  खोल दिया 

(4) कंपनी के जो कर्मचारी लौटकर इंग्लैंड पहुंचे वह युवावस्था में होते हुए भी बहुत धनी हो गए थे और वे अपने धन के बल पर समाज में प्रतिष्ठा और संसद में स्थान तक प्राप्त कर चुके थे उन पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने भ्रष्टाचार के द्वारा इतनी बड़ी धनराशि एकत्रित किया है ऐसी स्थिति को देखकर ब्रिटेन के  विचारशील  लोगों के मन में यह प्रश्न उठने लगा कि क्या एक प्राइवेट व्यापार कंपनी का राजनीतिक सत्ता का प्रयोग करना उचित है और यह  सुझाव पेश किया गया कि भारत में कंपनी ने जो प्रदेश ले लिए हैं उन्हें क्राउन को उनके हाथों में ले लेना चाहिए

(5)ब्रिटिश सांसद  खुद काफी समय से कंपनी का प्रशासन अपने हाथों में लेने के लिए तैयार था इसलिए सन 1793 ई. के चार्टर एक्ट और उसके बाद पारित होने वाले अनेक  कानून  में संसद द्वारा इस तथ्य पर बार-बार बल दिया जाता रहा कि प्रशासनिक मामलों में सर्वोच्च शक्ति ब्रिटिश संसद में निहित है और कंपनी सरकार के विश्वास के रूप में कार्य कर रही है इस तरह कंपनी का प्रशासन ब्रिटिश सम्राट के अधिकार में चले जाने की भूमिका काफी समय पहले से बनी आ रही थी और बाद में 1857 के विद्रोह ने इसे व्यवहारिक जामा पहना देने का वातावरण तैयार कर दिया था

1858 के अधिनियम की मुख्य धाराएं
(1)कंपनी के समस्त परदेस हम अपने हाथ में लेते हैं
(2)इन प्रदेशों की प्रजा से अपने तथा अपने उत्तराधिकारी के प्रति वफादारी की हम आशा करते हैं
(3) Lord Canning को प्रथम वायसराय के पद में नियुक्त किया जाता है
(4) देसी राजाओं के साथ कंपनी की जो  संधि और समझौते हैं उन्हें हम शांतिपूर्वक स्वीकार करते हैं और उनका हम कंपनी के समान  ही  उनके कानून का पालन करेंगे
(5) कंपनी द्वारा नियुक्त समस्त सैनिक और असैनिक कर्मचारियों को हम अस्थाई करते हैं
(6) हम अपने राज्य के सीमा विस्तार की इच्छा नहीं रखते जिस प्रकार हम नहीं चाहते कि हमारे परदेस पर कोई अधिकार करें उसी प्रकार हम किसी की भूमि पर आक्रमण नहीं करेंगे
(7) हम अपने अधिकारों अपनी प्रतिष्ठा तथा अपने सम्मान के समान ही भारतीय के अधिकारों को सम्मान तथा उनकी प्रतिष्ठा का आदर करेंगे
(8) सबके साथ समान और निष्पक्ष न्याय किया जाएगा
(9) हम अपनी प्रजा पर अपने धार्मिक विचारों को नहीं ला देंगे और ना उनके धार्मिक जीवन में किसी का प्रकार का हस्तक्षेप करेंगे
(10) बिना किसी जाति तथा वर्ग  भेदभाव के पक्षपातहित होकर प्रजा जनों को सार्वजनिक सेवाओं में विभिन्न पदों पर शिक्षा तथा योग्यता के आधार पर नियुक्त किया जाएगा
(11) कानून बनाने तथा उसे लागू करते समय भारतीयों के प्राचीन अधिकारों तथा रीति-रिवाजों का पूरा पूरा सम्मान किया जाएगा
(12) 1857 के विद्रोह की दुखद घटनाओं के प्रति अफसोस व्यक्त करते हुए पुराने बंदियों और अपराधियों को बिना शर्त रिहा कर दिया जाएगा
(13) हमारे प्रबल इच्छा है कि शांतिपूर्ण उद्योग को प्रोत्साहित दिया जाए सार्वजनिक उपयोगिता के कार्य के प्रगति की जाए तथा प्रशासन की व्यवस्था में इस प्रकार सुधार किए जाएं कि सब प्रजा जनों का कल्याण हो
(14) भारतीयों की समृद्धि में हमारे शक्ति उसके संतोष में हमारे सुरक्षा तथा उसकी कृतिका में हमारा सबसे बड़ा पुरस्कार निहित है


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